करवा चौथ की कहानी– करवा चौथ का त्यौहार भारतीय संस्कृति में बेहद अहम मान्यता रखता है इस त्यौहार को सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सेहत के लिए रखती हैं यह भारतीय स्त्रियों का सर्वाधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय त्योहार है
बचपन से ही हम लोग अपनी मां का मां चाची आदि को यह व्रत करते हुए जरूर देता होगा इस त्यौहार को हिंदू ग्रंथों में विशेष स्थान प्राप्त है विवाहित औरतों के अलावा यह व्रत कुवारी स्त्रियां भी अच्छे वर पाने के लिए रखती हैं,
करवा चौथ के व्रत रखने वाली स्त्रियां पूरे दिन भोजन का सेवन नहीं करती हैं इसके अलावा पानी तक भी नहीं पीती हैं जब तक शाम को चांद को देखकर पूजा नहीं कर लेती हैं तब तक उनका व्रत पूरा नहीं होता है करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है
करवा चौथ में करवा जितना महत्व चंद्रमा का है उतना महत्व करवा चौथ की पुरानी कथा का भी है जिसे महिला पूजा करने के बाद अपने पति के साथ बैठकर सुनती हैं इस व्रत कथा को सुनने से मन की मनोकामना पूर्ण होती है और भाग्य तेज होता है आइए जानते हैं करवा चौथ की कहानी
करवा चौथ की कहानी |करवा चौथ वीडियो
करवा चौथ की कहानी – करवा चौथ की कहानी एक बेहद पुराणिक कथा है जो कि करवा चौथ वाले दिन हर महिला सुनती है और इसे सुनती है और करवा चौथ वाले दिन इस कथा का बेहद महत्व है करवा चौथ वाले दिन इस कथा को सुनने से भाग्य तेज होता है और मन की इच्छा पूरी होती है।
करवा चौथ की कहानी एक साहूकार के साथ शुरू होती है जिसके साथ पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या रहती है वीरावती का नया नया विवाह हुआ रहता है
और वह पहली बार अपना करवा चौथ अपने मायके में मनाने के लिए आई होती है,करवा चौथ वाले दिन वीरावती पूरे दिन से भूखे और प्यासे थी
और पहली बार व्रत रखने के कारण शाम होते होते तो भूख से छत पर आने लगी और मूर्छित होकर गिर गई जिसे देख कर उसके सारे भाई रोने लगे और एक भाई मशाल लेकर पेड़ पर चढ़ गया और छन्नी से मशाल के आगे से दिखाने लगा,
और अपनी बहन को उठाया उसका मुंह बुलाया और कहा देखो बहन चंद्रमा निकल आया है, चंद्रमा को देखकर वीरावती वह प्रसन्न हो गई
और सब कुछ छोड़ कर उसने चंद्रमा के जैसे दिखने वाले मशाल और छन्नी को अग्र देकर भोजन करने बैठी, पहले कवर में चिक अयी, दूसरे कवर में बाल निकला और तीसरे कवर में ससुराल से बुलावा आ गया
जहां पर वीरावती पहुंचकर देखी है कि उसके पति की मृत्यु हो गई है जिसको देखकर विलाप करने लगी, और कहने लगी हे भगवान तुमने मेरे पति को मुझसे क्यों छीन लिया तभी इतने में चौथ देवी वहां प्रकट होती हैं
और वीरावती को बताती हैं कि तुमने व्रत का सही से पालन नहीं किया जिस कारण व्रत के श्राप से तुम्हारे पति की मृत्यु हो गई है इतना सुनते ही वीरावती चौथ माता के कदमों में गिर गई और उनसे माफी मांगने लगी, और अपने पति को जिंदा करने की फिर से मांग करने लगी,
जिस पर चौथ माता ने उससे कहा कि अगर तुम करवा चौथ का व्रत फिर से पूरी श्रद्धा और भक्ति से रखोगे तो तुम्हारा पति पुनः जीवित हो जाएगा यह कहकर चौथ माता वहां से गायब हो गई
फिर वीरावती ने ऐसा ही किया उसने अगली बार करवा चौथ का व्रत धूमधाम से और श्रद्धा से मनाया जिससे खुश होकर चौथ माता ने उसके पति को फिर से जीवित कर दिया और वीरावती एक बार फिर से सुहागन हो गई बोलो चौथ माता की जय……
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करवा चौथ की आरती | चौथ माता की आरती लिखित में
||करवा चोथ का पूजन जो करता सुख, सुख समृद्धि पाता, ओम जय करवा चौथ माता,||
|| तुम्हारी लीला निराली जय हो माता प्यारी, ||
||तुम हो जग की माता तुम्हारा सब आशीर्वाद पाता ओम जय करवा चौथ माता ||
|| सुहागिनी कि तुम माता तुम हो जग कल्याणी, देवों की तुम माता सबकी हो स्वामी ||
करवा चौथ पूजा विधि
सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें और अपने शरीर को साफ रखें स्नान के बाद मंदिर की सफाई करके भगवान को फूल अर्पित करें और ज्योति जलाएं
अपने व्रत की शुरूआत भगवान के सामने हाथ जोड़कर करें शाम की पूजा के समय एक थाल बनाएं जिसमें करवा चौथ का कैलेंडर, मिठाई, पुष्प, रोली छलनी, दिया, अगरबत्ती उन सब को एक साथ रखें
सबसे पहले चंद्रमा पूजा करते समय चंद्र भगवान को छनी की मदद से देखें, उसके बाद आप अपने पति का चेहरा देखें और चंद्रमा को जल चढ़ाएं इसके बाद जहां पर जल चढ़ाएं उसी जगह पर पुष्प, अगरबत्ती को चढ़ाए और अपने पति के पैर छूकर पानी पी सकती हैं
उसके बाद अपने घर पर आपको करवा चौथ व्रत कथा सुननी है उसके बाद ही भोजन करना है यह करवा चौथ का बहुत पुराना रिवाज है
करवा चौथ कब है
हिंदू पंचांग कैलेंडर के हिसाब से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी में करवा चौथ मनाया जाता है इस वर्ष करवा चौथ 13 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक करवा चौथ का शुभ मुहूर्त रहेगा
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त 2022
2022 करवा चौथ मुहूर्त बेहद शुभ है करवा चौथ का शुभ मुहूर्त शाम 4:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक रहेगा
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बचपन से ही हम लोग अपनी मां का मां चाची आदि को यह व्रत करते हुए जरूर देता होगा इस त्यौहार को हिंदू ग्रंथों में विशेष स्थान प्राप्त है विवाहित औरतों के अलावा यह व्रत कुवारी स्त्रियां भी अच्छे वर पाने के लिए रखती हैं,
करवा चौथ के व्रत रखने वाली स्त्रियां पूरे दिन भोजन का सेवन नहीं करती हैं इसके अलावा पानी तक भी नहीं पीती हैं जब तक शाम को चांद को देखकर पूजा नहीं कर लेती हैं तब तक उनका व्रत पूरा नहीं होता है करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है
करवा चौथ में करवा जितना महत्व चंद्रमा का है उतना महत्व करवा चौथ की पुरानी कथा का भी है जिसे महिला पूजा करने के बाद अपने पति के साथ बैठकर सुनती हैं इस व्रत कथा को सुनने से मन की मनोकामना पूर्ण होती है और भाग्य तेज होता है आइए जानते हैं करवा चौथ की कहानी
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करवा चौथ की कहानी एक साहूकार के साथ शुरू होती है जिसके साथ पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या रहती है वीरावती का नया नया विवाह हुआ रहता है
और वह पहली बार अपना करवा चौथ अपने मायके में मनाने के लिए आई होती है,करवा चौथ वाले दिन वीरावती पूरे दिन से भूखे और प्यासे थी
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और अपनी बहन को उठाया उसका मुंह बुलाया और कहा देखो बहन चंद्रमा निकल आया है, चंद्रमा को देखकर वीरावती वह प्रसन्न हो गई
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